Shruti Communication Trust

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about us

ब्रजेश मिश्र
संयोजक सह संपादक

आदरणीय भारतवासियों,
आपसे अपनी दिल की बात कहना चाहता हूं ताकि आपके सुझाव, सलाह और उचित मार्ग-दर्शन से मानवीय सहायता करना चाहता हूं ताकि मानव कुल में जन्म लेने का लाभ उठा संकू। आज के संचार क्रांति एवं भौतिकवादी युग में लोगों का लोगों से विश्वास उठता जा रहा है और संयुक्त परिवार टूट के । अंतिम कगार पर खड़ा है। आरक्षणरूपी भ्रष्टाचार एवं जातिगत वातावरण सहित बेरोजगारी की बढ़ती भीड़ की वजह से भी परिवार अब एक छत के नीचे रहना नहीं चाहता तो कुछेक अंहकारी अपने अभियान को अपने साथ नहीं रखना चाहते इस प्रकार की परेशानी का सामना करना पड़ता है। वर्ष 2008 में केवल सच पत्रिका के समाचार संकलन के क्रम में ऐसा एहसास हुआ ब्रजेश मिश्र की हम युवाओं को सामाजिक कार्य भी करना चाहिए और वह भी बड़े स्तर का। हमलोगों ने सार्थक पहल करना शुरू कर दिया और “श्रुति कम्युनिकेशन ट्रस्ट” का गठन कर लिया गया। प्रतिवर्ष 20 नि:शक्त बच्चों को ट्राई सायकिल उपलब्ध कराकर मन प्रफूल्लित हो संयोजक सह संस्थापक जा पक जाता था और इसकी खबर को अन्य मीडिया घराना ही नही बल्कि अपनी केवल सच पत्रिका में भी इसको प्रकाशित नहीं करते थे। ऐसा लगता था की पुण्य का कार्य करके उसका बाजार बनाना उचित नहीं है इसलिए सैकड़ों सामाजिक कार्य करने के बाद भी अखबार के पीछे हमलोगों का झुकाव नहीं था लेकिन जब इसका आयकर विभाग में 12ए और 80जी कराया जाना था उस वक्त जांच पड़ताल किया गया तब एहसास हुआ की अखबार का कटिंग कितना मायने रखता है। आप काम करे या नहीं लेकिन मीडिया में जुगाड़ लगाकर भी खबर छाप लिया तो आप सामाजिक कार्य करते हैं का प्रमाण मिल जाता है पर आयकर विभाग ने मुझे साहस दिया और कहा की आप काम करने वाले लोग हैं और आपकी स्पष्ट बातें यह साबित कर रही है की आपलोग दिल से सामाजिक कार्य करना चाहते हैं। निबंधन के 8 साल बाद भी श्रृति कम्युनिकेशन ट्रस्ट ने सरकार से कोई आर्थिक योगदान नहीं मांगा और न ही किसी योगदान के लिए किसी विभाग या मंत्रालय में आवेदन दिया। 2016 में पहली बार ऐसा लगा कि अब पत्रकारिता करते-करते समाज में फैल रही कुरीतियों के साथ-साथ पारिवारिक तनाव को भी ध्यान में रखकर “अपना घर” वृद्धाश्रम बनवाया जाये और प्रकृति के गोद में बसा झारखण्ड की राजधानी राँची में यह कम बजट में प्राकृतिक वातावरण में विभिन्न क्षेत्र एवं जाति के लोगों के साथ काम करना एवं उनकी सेवा करने का आनन्द ही अलग होगा। केवल सच पत्रिका के 11 साल सफल नियमित प्रकाशन के बाद अब अपना घर बनाना, अपना अस्पताल बनवाना, अपना विद्यालय बनवाना और 5 रूपये में रोटी+भूजिया+आचार और पानी की व्यवस्था करवाने का लक्ष्य पर काम करना मुख्य टारगेट है। शिक्षा एवं चिकित्सा और सुरक्षित रहने की व्यवस्था होने के बाद तनाव में कमी आती है और हर मानव अपने भीतर छुपी प्रतिभा को बाहर निकालता है। संगठन का FCRA हो चुका है और संगठन लाभ कमाने वाली कंपनी से CSR की मांग करेगा ताकि वह मानवीय सहायता हेतु कार्य कर सके। कर्म करने वाले और ईमानदारी से संगठन चलाने वाले समाजसेवियों को धन का अभाव नहीं होता और वह लक्ष्य को प्राप्त करता है। बिहार, झारखण्ड के अलावा पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ में भी निकट भविष्य में सामाजिक कार्य को प्रारंभ किया जायेगा। अपना घर बनाने में वक्त लगेगा, धन लगेगा, श्रम लगेगा लेकिन जब यह बनकर आम-आवाम के बीच होगा तो निश्चय मानें यह अपने आप में अदभूत नजारा होगा। समाज में फैल रही कुरीतियों को सिर्फ दूसरे के जिम्मे छोड़कर हम भाग नहीं सकते क्योंकि सरकार भी हमसे उम्मीद रखती है की भारत की जनता सरकार के सोच को बल प्रदान करेगी। जिस प्रकार हर घर शौचालय आज बन रहा है उसी प्रकार यह निश्चय कर लिया जाये की कोई भी अशिक्षित नहीं होगा, कोई लापरवाही की वजह से बीमार नहीं होगा, बेवजह झंझट नहीं होगा, विवाद को समाज के बीच सुलझा लिया जायेगा जैसी सोच को विकसित करना भी श्रृति कम्युनिकेशन ट्रस्ट की प्राथमिकता में है। न्यायालय के अदालत में, ईलाज के लिए हॉस्पीटल में, शिक्षा के लिए विद्यालय में लोगों को सरकार के द्वारा चलायी जा रही जनकल्याणकारी योजनाओं की जानकारी देकर उन्हें जागरूक करना और उन्हें उनका वाजिब हक दिलाना भी हमारा कर्तव्य है। अपना घर बन जाने के बाद किसी भी विषय के संचालन में काफी सहूलियत मिलेगी तथा एक छत के नीचे सैकड़ों लोगों के रहने से भी विचारों का संग्रह होगा तथा यहां बच्चे पढ़कर देश के विकास एवं रक्षा के मामले में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंगे जैसा माहौल बनाया जायेगा। यह ऐसा अपना घर होगा जहां रोजगार का भी कार्यक्रम चलाया जायेगा और उससे प्राप्त होने वाली राशि से भी इसका संचालन किया जायेगा और श्रमदान करने वाले युवाओं को पारिश्रमिक भी प्रदान किया जायेगा तथा स्किल डेवलप्मेंट का भी कार्य अपना घर से संचालित होगा। धर्म एवं अध्यातम की जानकारी के साथ पर्यटन को समझने के लिए भी अपना घर में रह रहे अभिभावकों एवं बच्चों को वैसे स्थलों तक पहुंचाना ताकि वह यह जान सके कि भारत का इतिहास और भुगोल कितना गौरवशाली है और इसको कैसे सदैव गौरवशाली बनाये रखा जाये उसपर कार्य किया जायेगा।। सपने हैं लेकिन जब तक पूरे नहीं होते हम चुप बैठने वालों में से नहीं हैं और जब तक इस कार्य को पूर्ण न कर लिया जाये चैन से बैठना खुद को धोखा देने जैसा है। इसके सफल संचालन के लिए 5 लाख रसीद प्रकाशित कराये जा रहे हैं जिससे आम लोगों का सहयोग लिया जायेगा ताकि वह भी लोगो को बचा सकें की युवाओं ने जो सपने अपना घर के लिए देखें हैं उसको पूरा करने में हमने भी जान डाली है। आप अभिभावकों, मित्रों, व्यवसायियों एवं विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने वाले से यह अपील है की वह छोटा सा भी अर्थदान करके, श्रमदान करके और ज्ञानदान करके श्रुति कम्युनिकेशन ट्रस्ट की सोच को परिणाम में बदल सकते हैं। बताते चलें कि सामाजिक कार्य को वेवसाइट www.shruticommunicationtrust.org के माध्यम से जानकारी आप ले सकते हैं। अपना घर को बनाने एवं सही ढंग से चलाने में कुल 13 करोड़ रूपये खर्च होने का अनुमान है और अगले वर्ष से 3 करोड़ रूपये लगेंगे। इस राशि को पूर्ण करने के लिए करोड़ों लोगों तक भी पहुंचने की कोशिश हमारी टीम की जारी है तो कुछेक दानवीर कर्ण की भी तलाश है जिनके सहयोग से अपना घर बनकर तैयार हो जायेगा। 05 लाख रूपये की राशि देने वाले दानकर्ताओं का नाम सवर्ण अक्षरों में अपना भवन के लिस्ट में लिखा जायेगा और वेवसाइट पर भी रखा जायेगा। इस पुनित कार्य को पूर्ण कराना किसी एक की वश की बाहर की बात है लेकिन अगर मिलकर प्रयास करेंगे तो मंजिल पर पहुंचने से हमें कोई रोक भी नहीं पायेगा। आईये संकल्प लें इस अभियान को गति देने में आप हमारा भरपूर साथ देंगे और अन्य लोगों को भी सहयोग करने के लिए प्रेरित करेंगे जिसके आधार पर अपना घर आपसबों के बीच होगा जहां आप अपने परिवार के साथ आकर कुछ दिन ठहरकर यह समझ पायेंगे की परिवार की महत्ता क्या होती है और कैसे भारत संयुक्त परिवार का पावर बैंक है।